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जल शक्ति मंत्रालय:अब 93 करोड़ के नमामि गंगे प्रोजेक्ट से पीलिया खाल और भैरवगढ़ नाले के दूषित पानी को ट्रीट करने के बाद शिप्रा नदी में छोड़ा
शिप्रा को अब नमामि गंगे प्रोजेक्ट से प्रवाहमान करने के दावे किए जा रहे हैं। इसके तहत शहर के दूषित पानी को ट्रीट करके नदी में छोड़ जाएगा। साथ ही सिंचाई के लिए भी किसानों को पानी मुहैया करवाएंगे। केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने शिप्रा को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन में शामिल करते हुए उक्त प्रोजेक्ट के लिए 92.78 (करीब 93) करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति 3 मई 23 काे जारी की थी। इधर, दो दिन पहले हुई मेयर इन कौंसिल की बैठक में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद पीएचई के अधिकारी टेंडर प्रक्रिया की तैयारी में जुट गए हैं। उक्त प्रोजेक्ट कंसल्टेंट एजेंसी मेसर्स रूद्राभिषेक इंटरप्राइजेस प्रालि (आरईपीएल) नोएडा दिल्ली द्वारा तैयार किया गया है। महापौर मुकेश टटवाल ने बताया कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट को एमआईसी में मंजूरी दे दी गई है। टेंडर की तैयारी की जा रही है।
यहां डलेंगे प्लांट और पाइप लाइन
- पीलिया खाल नाले पर 22 एमएलडी क्षमता का एसटीपी स्थापित होगा। साथ ही सीवेज पंपिंग स्टेशन और 600 एमएम व्यास की डीआई के 7 सीवेज पंपिंग मैन पाइपलाइन 920 मीटर लंबी और 2 हजार मीटर लंबी सीवेज वाटर ट्रीटमेंट पाइपलाइन भी।
- भैरवगढ़ नाले पर 2.38 एमएलडी क्षमता का वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित होगा। एक सीवेज पंपिंग स्टेशन भी। 500 मीटर लंबी 200 एमएम व्यास की डीआई के 7 सीवेज पंपिंग मैन पाइपलाइन तथा 1500 मीटर लंबी व 200 एमएम व्यास की सीवेज वाटर ट्रीटमेंट पाइपलाइन भी।
ऐसे काम करेगा प्रोजेक्ट
- पीलिया खाल और भैरवगढ़ नाले से निकलने वाले दूषित पानी को ट्रीट करके शिप्रा में छोड़ा जाएगा।
- एक अनुमान है कि इस प्रोजेक्ट से करीब ढाई करोड़ लीटर पानी ट्रीट हो सकेगा।
- इसमें से 80 फीसदी पानी को शिप्रा में छोड़ने की योजना है।
- बाकी 20 फीसदी पानी को किसानों को सिंचाई के लिए मुहैया करवाएंगे।
- ठेकेदार कंपनी को ही इस प्रोजेक्ट के संचालन की 15 वर्ष तक की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
टेंडर में शर्त रहेगी
“टेंडर के लिए मसौदा तैयार कर स्वीकृति के लिए जल्द ही भोपाल भेजा जाएगा। टेंडर की शर्त में रहेगा कि 15 वर्ष तक ठेकेदार एजेंसी प्रोजेक्ट का संचालन व संधारण करेगी।”